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मंगलवार, 30 नवंबर 2010

jindgi jeekar dekhiye !

कभी सुख कभी दुःख क़ा साया ,
कभी धूप तो कभी छाया ,
कभी चमकती हुई आशा ,
कभी अँधेरी निराशा ,
कभी मुस्कुराते चेहरे ;
कभी मुरझाई शक्ले ,
कभी सुनहरा प्रभात ,
कभी काली रात,
कभी सूखती धरती,
कभी बरसता बादल,
ये सब देखना है......
तो जिन्दगी जीकर देखिये ! !

8 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

ये सब देखना है......
तो जिन्दगी जीकर देखिये ! !


क्या बात कही...बिलकुल सीधी और सच्ची.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जी हाँ यही तो जिन्दगी है!
--
रचना में सुन्दर वर्णन!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत खूब ..... यही जीवन के रंग हैं....

vandana gupta ने कहा…

बहुत खूब्……………यही है ज़िन्दगी।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Sach kaha .. jindagi jeena ka maja kuch aur hi hai ..

अनुपमा पाठक ने कहा…

जीवन कई अनुभवों का साक्षी बनाता ही है...

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

bahut khoob......

pate ki baat kahi hai...!!!

naresh singh ने कहा…

जिंदगी में ये सब उतार चढाव के रूप में आते है | सीधी और सच्ची बात हेतु धन्यवाद |