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गुरुवार, 30 अगस्त 2012

मेरे शहर में ....मेरे देश में ...मेरी दुनिया में.. मेरे घर से ज्यादा क्या खूबसूरत हो सकता है !



ये बेशकीमती है  ; ये मेरी दुनिया है ,
ये मेरा घर है ,ये ही मेरी दौलत है .

कितनी महफूज़ हूँ इसके आँगन की बांहों में ;
ये मेरा घर है  ,ये ही मेरी अस्मत  है .

पाक चौखट है इसकी ;  मेरा इबादतखाना है  ,
ये मेरा घर है  , ये ही मेरी मन्नत है .

यहाँ बसी हैं बचपन की सारी यादें कोने कोने में ;
ये मेरा घर है ,ये ही मेरी किस्मत है .

ना दूर रहकर इससे दिल को सुकून आता है ,
ये मेरा घर है  ,ये ही मेरी ज़न्नत है .
                                             शिखा कौशिक ''नूतन ''

3 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

most beautiful place on this earth .सार्थक प्रस्तुति .कैराना उपयुक्त स्थान :जनपद न्यायाधीश शामली :

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…


behtareen prastuni,ghar ghar hi hota hai,puri jindgi ke safar ki dastan

Aditi Poonam ने कहा…

इस सुंदर रचना के लिए बधाई